
बिहार चुनाव 2025 के गर्मी चढ़े लागल बा। हर पार्टी अपना-अपना वादा के झोली खोलले बा, लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अबकी बार कुछ अलग कर के देखावत बाड़न।
शनिवार के दिन, तेजस्वी यादव एलान कईले कि अगर उनकर सरकार बनल, त “100% डोमिसाइल नीति लागू” होई।
मतलब साफ बा — बिहार के सरकारी नौकरी अब केवल बिहार के लोगन के मिलेगी।
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समर्थकन के जोश: फॉर्म फ्री, ट्रैवल फ्री
तेजस्वी के ई घोषणा के बाद राजद समर्थक लोग सोशल मीडिया पर जलवा मचा दिहले।
कई समर्थक लिखले —
“अब प्रतियोगी परीक्षा के फॉर्म फ्री होई, परीक्षा में जाए खातिर सरकार किराया देई।“
“तेजस्वी जी के बात समझो गारंटी हवे!“
“रोटी रोजगार से न्याय मिली” — समाजिक अउरी आर्थिक बदलाव के दावा
राजद के रणनीति ई बा कि जातीय जनगणना से सामाजिक न्याय अउरी रोजगार से आर्थिक न्याय दीहल जाव।
समर्थकन के कहना बा:
“तेजस्वी जी जे कहले रहलें — नौकरी देब, रोजगार देब — उ पूरा कर दिहलें।“
युवावर्ग के दिल जीतले तेजस्वी?
बिहार के हजारों युवा डोमिसाइल नीति के मांग कई बार धरना, मार्च अउरी सोशल मीडिया पर कर चुकल बाड़न। अब ई मांग नेता प्रतिपक्ष के घोषणापत्र में आ गइल बा। ई बात युवा मन के उम्मीद दे रहल बा कि अब नौकरी खातिर बाहरी राज्य में भटकल ना पड़ी।
भाजपा के तंज — “देश में बिहारी के नौकरी बंद करबा?”
डोमिसाइल नीति पर भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा तंज कसले:
“तेजस्वी जानत बाड़न कि उनकर सरकार ना आवे वाली, एह से हवा में वादा कर रहल बाड़न।“
“अगर हर राज्य ई नीति लागू क दे, त बिहार के युवा दिल्ली, मुंबई, गुजरात में कैसे नौकरी करी?“
“बिहारी प्रतिभा के सीमित कइल देशहित में ना हवे।“
ई फैसला जोश में बा कि होश में?
बिहार के नौजवानन में तेजस्वी के ई घोषणा से नया उर्जा आइल बा, लेकिन सवाल उठता:
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ई नीति कानूनी रूप से टिक पाई?
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संविधान के तहत नौकरी में डोमिसाइल बाध्यता संघीय ढांचे के खिलाफ त ना ह?
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बिहारी युवा के देश भर में पहचान सीमित त ना हो जाई?
चुनावी वादा कि भविष्य के नीति?
तेजस्वी यादव अबकी बेर ‘बेरोजगारी’ अउरी ‘आर्थिक न्याय’ के मुद्दा पर चुनाव लड़े के रणनीति अपनवले बाड़न। ई रणनीति चुनावी सफलता दिलाई कि संवैधानिक पेच में फंस जाई — ई जनता के वोट तय करी।
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